मिर्ज़ा ग़ालिब
अगर शायरों की बात की जाये तो ग़ालिब का नाम सबसे पहले आता है और ग़ालिब जैसा कोई शायर भी हुआ है आज तक लेकिन जब ग़ालिब के शेर और उनको जानने की बात आती है तो हम समझ नहीं पाते की ग़ालिब ने किस अंदाज़ में अपनी किस बात को बयां कर दिया।।
ग़ालिब का जन्म एबं परिवार
ग़ालिब का जन्म आगरा में हुआ उन्होंने बचपन में ही अपने माता पिता को खो दिया।।
ग़ालिब के एक चाचा जी थे जो उस वक़्त ईस्ट इण्डिया कंपनी में सैन्य अधिकारी थे अतः उनकी मौत होने के बाद उनकी पेंसन ग़ालिब को मिलने लगी जिस से ग़ालिब ने अपना जीवन यापन किया।
उन्होंने उर्दू और फारसी में गद्द और पद्द लिखना आरंभ कर दिया और इसी से ग़ालिब आगे बढ़ते चले गए
ग़ालिब जब महज १३ वर्ष की आयु के थे तब उनका विवाह नवाब इलाही बख्त की बेटी उमराब बेगम से हो गया था।
ग़ालिब की अधिकतर गजलों और शायरी में उनके लिए प्रेम दिखता है।
जब लगा था तीर
तब इतना दर्द नहीं हुआ
ग़ालिब
जख्म का एहसास तो तब हुआ जब कमान
देखी अपनों के हाथो में
मिर्जा ए ग़ालिब
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